Motigarpur News
Tuesday, 22 October 2024
..और सुभाष के अनुगामी बन गए दियरा के शाही
नेपाल के राजघराने ने सुल्तानपुर की दियरा स्टेट में ब्याही थी अपनी बेटी
नेपाल में जंग बहादुर राणा ने राणा राजवंश की स्थापना की थी। बाद में शाह वंश (मौजूदा राजवंश) के बीच हुई तकरार में जंग बहादुर राणा को नेपाल में सरकार संचालन का दायित्व मिला। वह वर्ष 1860 के करीब नेपाल के पीएम बने। शाह वंश को बंटवारे में राजवंश मिला था।
भारत व नेपाल के राजघराने व सरकार में रिश्ते की डोर यहीं से शुरू हुई। नेपाल के पूर्व पीएम व राणा राजवंश के संस्थापक जंग बहादुर राणा ने अपनी तीन पौत्रियों की शादी भारत के राजघरानों में कराई। इसमें एक नैनीताल में दान सिंह बिष्ट, दूसरी सिरवारा में बाबू भीम सिंह व तीसरी बलरामपुर राजघराने में हुई थी।
सिरवारा में ब्याही उनकी पौत्री महारानी लक्ष्मी मिट्ठू मइया रानी की पुत्री इंदुबाला शाही की शादी सुल्तानपुर के दियरा राजवंश के मत्स्येंद्र प्रताप शाही के साथ हुई। तब से दियरा स्टेट से नेपाल के राणा वंश में रिश्तों की डोर बंधी चली आ रही है। मत्स्येंद्र प्रताप शाही बताते हैं कि राणावंश के अंतिम प्रधानमंत्री महाराज मोहन शमशेर सिंह राणा रहे।
नेपाल के राणा वंश से ही दियरा स्टेट का रिश्ता नहीं रहा बल्कि बंटवारे में शाह वंश के हाथों गये राजंवश से भी दियरा स्टेट का बेटी-दामाद का संबंध रहा। दियरा स्टेट के राजा कौशलेंद्र प्रताप शाही (बब्बन महराज) के सात पुत्रों में दूसरे नंबर के पुत्र योगेंद्र प्रताप शाही की शादी नेपाल के मौजूदा राजवंश (शाहवंश) में हुई थी।
नेपाल के शाह वंश की पुत्री प्रेम राज राजेश्वरी का विवाह योगेंद्र प्रताप शाही के साथ हुआ था। हालांकि योगेंद्र प्रताप शाही की कोई संतान नहीं थी। नेपाल में शाहवंश (राजवंश) में संबंध होने की वजह से दियरा स्टेट का लगाव आज भी वहां से है।
दियरा स्टेट के मत्स्येंद्र प्रताप शाही बताते हैं कि शाहवंश की उनकी दादी प्रेम राज राजेश्वरी शाही को शाह वंश की ओर से भूमि भी दान में मिली थी लेकिन उन्होंने वह जमीन उसी परिवार को दे दी। शाह वंश के गया प्रसाद शाह एक समय पर नेपाल के खाद्य एवं रसद मंत्री भी रहे। नेपाल के राजवंश से देश के कई राजघरानों के रिश्ते हैं। ऐसे में यह रिश्ता तोड़ पाना नेपाल के लिए आसान नहीं है।
Tuesday, 8 March 2022
*सुलतानपुर जिले के दियरा राजघराने पर रख दृष्टि*
Sunday, 1 December 2019
'कौन सुनेगा, किसको सुनाए.... विधायक और सांसद से शिकायत के बाद भी समस्या का निस्तारण नहीं हुआ
Tuesday, 5 November 2019
गंगा, गायत्री, गीता व गोवर्धन की तरह पूजनीय है गाय
Tuesday, 1 October 2019
एक लाख की स्मैक के साथ दंपति गिरफ्तार
मोतिगरपुर। क्षेत्र में कई महीनों से फल-फूल रहे स्मैक के कारोबार पर अंकुश लगाते हुए थानाध्यक्ष मोतिगरपुर ने दंपति को गिरफ्तार किया। पकड़े गये दंपति के पास से एक लाख रुपये से अधिक कीमत की स्मैक बरामद की गयी है।
मालूम हो कि ऑपरेशन अंकुश अभियान के तहत थानाध्यक्ष मोतिगरपुर रतन कुमार शर्मा ने कई अवैध शराब कारोबारियों के खिलाफ कड़ी कार्यवाही की। इसी क्रम में थानाध्यक्ष को पता चला कि क्षेत्र के बॉर्डर पर स्थित श्रीरामनगर चौरे बाजार के पास पिछले कई महीनों से स्मैक का कारोबार फल-फूल रहा है। स्मैक की लत युवाओं में तेजी से फैल रही थी। रविवार शाम करीब 5 बजे थानाध्यक्ष रतन कुमार शर्मा, एसआई प्रमोद यादव हमराहियों के साथ क्षेत्र भ्रमण पर थे, इसी बीच मुखबिर की सूचना पर जय माँ सरस्वती बाल विद्या मंदिर श्रीरामनगर चौरे के पास एक दंपत्ति को गिरफ्तार किया। पकड़े गये दंपति के पास से जमा तलाशी के दौरान 32 ग्राम स्मैक व 1520₹ नगदी बरामद की गयी। पकड़े गये दंपति की पहचान स्थानीय थाने के श्रीरामनगर चौरे निवासी इस्लाम उर्फ शहबान पुत्र बरसाती व मोमिना पत्नी इस्लाम के रूप में हुई। थानाध्यक्ष रतन कुमार शर्मा ने बताया कि, " पकड़े गये दंपति बाहरी जिलों से स्मैक लाकर नशे का कारोबार करते थे। पकड़े गये स्मैक की कीमत करीब 1 लाख रुपये से अधिक है। दोनों को जेल भेजा गया।
Monday, 30 September 2019
पूर्वांचल का ऐतिहासिक पांडेबाबा धाम सैकड़ों वर्ष बना है लोगों की आस्था और श्रद्धा का केंद्र
*भूपेश पाण्डेय |
मोतिगरपुर। जिला मुख्यालय से करीब 32 किमी दूर स्थित पांडेय बाबा ब्रह्मधाम सैकडों साल से लोगों की आस्था और श्रद्धा का केंद्र बना हुआ है। यहाँ प्रतिवर्ष क्वार महीने में विजयादशमी को श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ती है।
किंवदंती के मुताविक करीब 350 वर्ष से पूर्व बढ़ौनाडीह नामक स्थान पर धरमंगल पांडेय का जन्म ब्राह्मण परिवार में हुआ। पांच वर्ष की अल्पायु में ही माता-पिता की मृत्यु हो जाने के बाद से ही बालक धरमंगल का मन तप में लग गया। वे घनघोर जंगल में गर्मी के मौसम में पंचाग्नि, ठंड में जल एंव बरसात में खुले आसमान के नीचे तपस्या करते थे। उम्र के साथ ही उनकी कीर्ति भी चारों तरफ बढ़ने लगी। तपोबल से ही उनके वस्त्र आसमान में सूखते थे। संयोग से तत्कालीन स्थानीय राजघराने का राजकुमार शिकार करते हुए उसी जंगल मे आ गया और देर शाम तक शिकार न मिलने पर अगले दिन आने की नीयत से गोमती नदी के दूसरे किनारे पर स्थित सराय (वर्तमान में मीठापुर-चौपरिया) नामक स्थान पर रुक गया। अगले दिन पुनः शिकार की तलाश में आपके आश्रम के नजदीक पहुँच गया। वही पास में ही एक गरीब परिवार की नवयुवती ईंधन के लिए उपले एकत्र कर रही थी। राजकुमार प्रेम आसक्त हो उससे दुराचार का प्रयास करने लगा। ब्राह्मण देव के हस्ताक्षेप राजकुमार उस समय तो क्षमा मांगकर सराय वापस चला गया, लेकिन बदले की भावना से ब्राह्मण को मारने के लिए सराय के लोगों को षडयंत्र के तहत भेजा। लेकिन ब्राह्मण के तेज को देखकर सारे लोग वापस लौट आये। अंत में सबने मिलकर रग्घू नामक जल्लाद को ब्राह्मण का सिर काटने के लिए भेजा और कहा, कि ऐसा न करने पर राजद्रोह के आरोप में उसके पूरे परिवार को मार दिया जायेगा। जल्लाद रग्घू भी ब्राह्मण का तेज देख उन्हें मारने का साहस नहीं कर सका। तीन दिन बाद वो ब्राह्मण के पैरों पर गिर पड़ा और सारी बातें बताकर अपने परिवार की रक्षा की भीख मांगने लगा।
सुलतानपुर जिले के लखनऊ -बलिया राजमार्ग पर बढ़ौनाडीह स्थित ब्राह्मण देव ( पांडेबाबा ) का ऐतिहासिक धाम
ब्राह्मण देव ने कहा इसमें तुम्हारा कोई दोष नहीं है, तुम तो राजधर्म का पालन कर रहे हो, लेकिन इस षडयंत्र में शामिल राजकुमार व सराय के लोगों का सर्वनाश अवश्य होगा। तुम अपने धर्म का पालन करो। इसके बाद जल्लाद ने उनकी हत्या कर दी। बाद में राजपरिवार व सराय के लोगों का धीरे-2 पतन होता गया। मृत्यु बाद ब्रह्म के रूप में ब्राह्मण देव का आतंक क्षेत्र में फैल गया। वे लोगों से स्वप्न के माध्यम से अपने लिए स्थान मांगने लगे। सभी क्षेत्रवासियों ने ब्राह्मणों द्वारा नवरात्रि में नौ-दिनों तक शांति पाठ कर क्वार माह की विजयादशमी को ब्राह्मण देव को उनके ही आश्रम के एक देव-वृक्ष (पीपल) में स्थापित कर दिया। तब से लेकर आज तक प्रतिवर्ष विजयादशमी को तीन दिवसीय मेले का आयोजन होता आ रहा है।
पांडेयबाबा के मेले में उमड़ा जन सैलाब
पूर्वांचल के ऐतिहासिक पाण्डेयबाबा मेले में जहाँ कई प्रदेश के लोग बाबा के दर्शन करने आते है । वही कई राजनैतिक व सामाजिक हस्तियां भी बाबा के धाम में मत्था टेक चुकी है। इनमें पूर्व मुख्यमंत्री पं. श्रीपति मिश्र, कल्याण सिंह, मुलायम सिंह यादव, पूर्व विधानसभा अध्यक्ष पं. केसरी नाथ त्रिपाठी, पूर्व केंद्रीय मंत्री बाबू केदारनाथ सिंह, पूर्व केंद्रीय मंत्री व राज्यसभा सांसद डॉ. संजय सिंह, उत्तर प्रदेश के पूर्व काबीना मंत्री पं. जय नारायण तिवारी, बाबू। विनोद सिंह, पूर्व राज्यमंत्री ओम प्रकाश सिंह, राम रतन यादव व विश्वनाथ दास शास्त्री, वरुण गांधी, शैलेन्द्र प्रताप सिंह, देवेंद्र पांडेय, सूर्यभान सिंह सहित दर्जनों हस्तियां बाबा का आशीर्वाद प्राप्त की है।