Thursday, 6 September 2018

गोपाल दास "नीरज" नही रहे...... उनकी एक कालजयी रचना...

"स्वप्न झरे फूल से, मीत चुभे शूल से
लुट गये सिंगार सभी बाग़ के बबूल से
और हम खड़े-खड़े बहार देखते रहे।
कारवाँ गुज़र गया गुबार देखते रहे।

नींद भी खुली न थी कि हाय धूप ढल गई
पाँव जब तलक उठे कि ज़िन्दगी फिसल गई
पात-पात झर गए कि शाख़-शाख़ जल गई
चाह तो निकल सकी न पर उमर निकल गई

गीत अश्क बन गए छंद हो दफन गए
साथ के सभी दिऐ धुआँ पहन पहन गए
और हम झुके-झुके मोड़ पर रुके-रुके
उम्र के चढ़ाव का उतार देखते रहे।
कारवाँ गुज़र गया गुबार देखते रहे।

क्या शबाब था कि फूल-फूल प्यार कर उठा
क्या जमाल था कि देख आइना मचल उठा
इस तरफ़ जमीन और आसमाँ उधर उठा
थाम कर जिगर उठा कि जो मिला नज़र उठा

एक दिन मगर यहाँ ऐसी कुछ हवा चली
लुट गई कली-कली कि घुट गई गली-गली
और हम लुटे-लुटे वक्त से पिटे-पिटे
साँस की शराब का खुमार देखते रहे।
कारवाँ गुज़र गया गुबार देखते रहे।

हाथ थे मिले कि जुल्फ चाँद की सँवार दूँ
होठ थे खुले कि हर बहार को पुकार दूँ
दर्द था दिया गया कि हर दुखी को प्यार दूँ
और साँस यूँ कि स्वर्ग भूमी पर उतार दूँ

हो सका न कुछ मगर शाम बन गई सहर
वह उठी लहर कि ढह गये किले बिखर-बिखर
और हम डरे-डरे नीर नैन में भरे
ओढ़कर कफ़न पड़े मज़ार देखते रहे।
कारवाँ गुज़र गया गुबार देखते रहे।

माँग भर चली कि एक जब नई-नई किरन
ढोलकें धुमुक उठीं ठुमक उठे चरन-चरन
शोर मच गया कि लो चली दुल्हन चली दुल्हन
गाँव सब उमड़ पड़ा बहक उठे नयन-नयन

पर तभी ज़हर भरी गाज़ एक वह गिरी
पुँछ गया सिंदूर तार-तार हुई चूनरी
और हम अजान से दूर के मकान से
पालकी लिये हुए कहार देखते रहे।
कारवाँ गुज़र गया गुबार देखते रहे।"

Friday, 15 June 2018

श्रीमद्भागवत कथा

  श्रीमद्भागवत एक ज्ञान यज्ञ है। यह मानवीय जीवन को रसमय बना देता है। भगवन् कष्ष्ण की अद्भूत लीलाओं का वर्णन इसमें समाहित है। भव-सागर से पार पाने के लिये श्रीमद्भागवत कथा एक सुन्दर सेतु है। श्रीमद्भागवत कथा सुनने से जीवन धन्य-धन्य हो जाता है। इस पुराण में 18 स्कन्ध एवं 335 अध्याय हैं। ब्यास जी ने 17 पुराणों की रचना कर ली लेकिन श्रीमद्भागवत कथा लिखने पर ही उन्हें सन्तोष हुआ। फिर ब्यास जी ने अपने पुत्र शुकदेव जी को श्रीमद्भागवत पढ़ायी, तब शुकदेव जी ने राजा परीक्षित को जिन्हें सात दिन में मरने का श्राप मिला, उन्हें सात दिनों तक श्रीमद्भागवत की कथा सुनायी। जिससे राजा परीक्षित को सात दिन में मोक्ष की प्राप्ति हुयी।
     
               निगमकल्पतरोर्गलितं फलं शुकमुखादमृतं द्रवसंयुतं।
                पिवत भागवतं रसमालयं महुरसो रसिका भुविभावुकाः।।
     
  श्रीमद्भागवत वेद रूपी वष्क्षों से निकला एक पका हुआ फल है। शुकदेव जी महाराज जी के श्रीमुख के स्पर्श होने से यह पुराण अमश्तमय एवं मधुर हो गया है। इस फल में न तो छिलका है, न गुठलियाँ हैं और न ही बीज हैं। अर्थात इसमें कुछ भी त्यागने योग्य नहीं हैं सब जीवन में ग्रहण करने योग्य है। द्रवमय अमष्त से भरे इस रस का पान करने से जीवन धन्य-धन्य हो जाता है। इसलिये अधिक से अधिक श्रीमद्भागवत कथा का श्रवण करना चाहिये। जितनी ज्यादा कथा सुनेंगे उतना ही जीवन सुधरेगा।

पित्रों का उद्धार करता है श्रीमद्भागवत:-
        श्रीमद्भागवत करने से पित्रों का उद्धार हो जाता है। भागवत पुराण करवाने वाला अपना उद्धार तो करता ही है अपितु अपने सात पीढि़यों का उद्धार कर देता है। पापी से पापी व्यक्ति भी यदि सच्चे मन से श्रीमद्भागवत की कथा सुन ले तो उसके भी समस्त पाप दूर हो जाते हैं। जीवन पर्यन्त कोई पाप कर्म करता रहे और पाप कर्म करते-करते मर जाय एवं भयंकर भूत-प्रेत योनि में चला जाय, यदि उसके नाम से हम श्रीमद्भागवत कथा करवायें तो वह भी बैकुण्ठ-लोक को प्राप्त करता है। इसके पीछे एक अद्भुद एवं विचित्र कथा है।      
      
तुंगभद्रा नदी के किनारे किसी नगर में आत्मदेव नामक एक ब्राह्मण रहते थे। ब्राह्मण बड़े सुशील और सरल स्वभाव के थे। लेकिन उनकी पत्नी धुँधली बड़ी दुष्ट प्रकष्ति की थी। वह बड़ी जिद्दी, अहंकारी और लोभी थी। आत्मदेव जी के घर में कोई कमी नहीं थी। लेकिन उनकी कोई सन्तान नहीं थी। एक दिन उन्हें स्वप्न हुआ कि तुम्हारी कोई सन्तान नहीं, इसलिये तुम्हारे पित्र बड़े दुःखी हैं और तुम्हारे दिये हुये जल को गर्म श्वास से ग्रहण करते हैं। आत्मदेव जी को बड़ा दुःख हुआ। सोचने लगे कि मेरी सन्तान नहीं इसलिये पित्रों के दोष से ही मेरे घर में गाय का कोई बछड़ा नहीं होता और न ही पेड़ पर फल लगते हैं। सन्तानहीन व्यक्ति के जीवन को धिक्कार है। वह तो इह लोक-परलोक दोनों ही में दुःख पाता है। एक दिन सबकुछ छोड़-छाड़कर दुःखी मन से आत्मदेव जी सीधे वन चले गये। दो-तीन दिन तक वन में विलाप करने के पश्चात् एक दिन उन्हें वहाँ एक महात्मा के दर्शन हुये और अपने दुःख का कारण बताया। महात्मा ने आत्मदेव जी को एक फल दिया और कहा कि इस फल को अपनी पत्नी को खिला देना। इससे उसका पुत्र हो जायेगा। आत्मदेव जी घर आये और अपनी पत्नी धुँधली को वह फल दे दिया। धुँधली ने सोचा कि ये पता नहीं किस बाबा से उठा लाये हैं, फल खाके कुछ हो गया तो! चलो सन्तान हो भी जाय तो उसे पालने में कितना कष्ट उठाना पड़ता है, मैं गर्भवती हो गयी तो मेरा रूप-सौन्दर्य ही बिगड़ जायेगा। ऐसा सोचकर उसने वह फल घर में बँधी बन्ध्या गाय को खिला दिया और आत्मदेव जी से कहकर छह-सात महीने के लिये अपनी बहिन के घर चली गयी। कुछ महीनों बाद बहिन का पुत्र लेकर लौटी और आत्मदेव जी से कहा कि मेरा पुत्र हो गया। आत्मदेव जी बड़े प्रसन्न हुये और धुँधली के कहने पर उस पुत्र का नाम धुँधकारी रख दिया।
     
  इधर धुँधली ने जो फल अपनी बन्ध्या गाय को खिलाया था उस गाय ने भी एक सुन्दर से बालक को जन्म दिया। जिसका पूरा शरीर मनुष्य की तरह और गाय की तरह उसके कान थे। इसलिये आत्मदेवजी ने उसका नाम गौकर्ण रख दिया। धीरे-धीरे दोनों बालक बड़े होने लगे तो गौकर्ण पढ़-लिखकर विद्वान और ज्ञानी बना, लेकिन धुँधकारी बड़ा दुष्ट पैदा हुआ।
          
     "गौकर्ण पण्डितोज्ञानी धुँधकारीमहाखलः"
   
    गौकर्ण पढ़ने को बनारस चला गया। धुँधकारी गाँव में ही बच्चों को पीटता, वष्द्धों को परेशान करता, चोरी करता, धीरे-धीरे डाका डालने लगा और बहुत बड़ा डाकु बन गया। माँस-मदिरा का सेवन करता हुआ धुँधकारी रोज मध्य रात्रि में घर आता। आत्मदेव जी को बड़ा दुःख हुआ, पुत्र को बहुत समझाया, लेकिन पुत्र नहीं माना। बड़े दुःखी मन से आत्मदेव जी सीधे वन को चले गये

Monday, 2 April 2018

जहरीली शराब से हुई कई मौतें

24मई 2013। उत्तर प्रदेश के सुलतानपुर जिले में मोतिगरपुर क्षेत्र के श्रीरामपुर लमौली गांव में शुक्रवार रात एक विवाह समारोह के दौरान जहरीली शराब पीने से दूल्हे के पिता सहित चार लोगों की मौत हो गई।

शनिवार को प्रशासन और आबकारी विभाग के अधिकारियों ने घटनास्थल पर पहुंचकर छानबीन भी की। सुलतानपुर के पुलिस अधीक्षक किरन एस. ने बताया कि गांव में राम मनोहर धुरिया नाम के एक शख्‍स की बेटी का विवाह था। बारात पड़ोसी जनपद अम्बेडकर नगर के थाना इब्राहिमपुर से आयी थी।समारोह के दौरान बारातियों ने जहरीली शराब पी ली। शराब पीने के बाद दूल्हे के पिता मस्तराम धूरिया (55), तीन बाराती राजेन्द्र (28), रामचन्द्र वर्मा (30) और इन्द्रजीत वर्मा (35) की मौत हो गई।

सूचना मिलने के बाद पुलिस मौके पर पहुंची। शुरुआती छानबीन के बाद सभी के शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है। शनिवार को गांव में प्रशासन और आबकारी विभाग के अधिकारी भी पहुंचे गए और छानबीन की। पुलिस का कहना है कि सभी की मौत के सही कारण का पता पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद चल सकेगा।

3 जुलाई 2014 को मोतिगरपुर थाने के लाला का पुरवा (भैरोपुर) निवासी रामरतन की मौत हुई थी। पत्नी झिनका की शिकायत पर राजकुमारी व भैरोपुर पूर्व प्रधान सभाराज कनौजिया के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई थी।

स्व.राममिलन सिंह की पंचम पुण्यतिथि पर कंबल बितरण

मोतिगरपुर। स्व. राममिलन सिंह की पंचम पुण्यतिथि पर युवा एवं महिला उत्थान संस्थान  पुरुषोत्तमपुर द्वारा गरीबों को भीषण ठंड से बचाव के लिए निःशुल्क कंबल वितरण समारोह का  आयोजन किया गया। समारोह में क्षेत्र के 151 गरीबों व आधा दर्जन दिव्यांगों को कंबल वितरित किया गया।
  रामबरन महाविद्यालय विभारपुर प्रबंधक अजय कुमार सिंह ने बतौर मुख्य अतिथि मंगलवार को क्षेत्र के चौहानपुर कस्बे में आयोजित कम्बल वितरण कार्यक्रम का उद्घाटन दीप प्रच्जवलित कर किया। कार्यक्रम में लगभाग 151 से अधिक गरीबों को निःशुल्क कम्बल बाँटा गया। इस अवसर पर अजय सिंह ने कहा कि, "गरीबों, असहायों के बीच कम्बल वितरण कर समाजसेवी व युवा एवं महिला उत्थान संस्थान के महासचिव अम्बे प्रताप सिंह"अमित" ने सामाजिक दायित्व की पूर्ति सरकारी व्यवस्था से हटकर की। यह एक मिशाल है। लोग अर्थोपाजन तो करते हैं, लेकिन उसका कुछ हिस्सा गरीबों के बीच खर्च करना ही सच्ची समाज सेवा है।" इस मौके पर संस्था के अध्यक्ष जेपी सिंह, उपाध्यक्ष पवन मिश्र, रणजीत वर्मा, गया प्रसाद, राजकुमार मोदनवाल सहित सैकड़ो लोग मौजूद थे।

शाहपुर लपटा ने प्रशासनिक सेवाओं में बनाई धमक

मोतिगरपुर। लखनऊ-बलिया राजमार्ग के किनारे स्थित विकासखंड मोतिगरपुर की शाहपुर लपटा ग्राम पंचायत की पहचान आज कलावती बालिका महाविद्यालय व भवंभवानी धाम के नाम से स्थापित अप्रतिम मंदिर के रूप में होती है। गाँव के बेटों ने सेना, प्रशासनिक सेवाओं व निजी उद्योगों के क्षेत्र में गांव का मान बढ़ाया है। स्व. रामपियारे शुक्ल पेशे से अधिवक्ता रहे, बाद में हाईकोर्ट इलाहाबाद में न्यायाधीश के पद को भी सुशोभित किया। वर्ष 1989 के विधानसभा चुनाव में जनसंघ से चुनाव जीतकर विधायक भी बनें। स्व. राजमणि शुक्ल को सेना में शौर्य प्रदर्शन के लिए राष्ट्रपति पुरस्कार भी मिला। दलित जयप्रकाश अपनी मेधा के बल पर प्रशासनिक सेवा में चयनित होकर हाथरस में एसडीएम के पद पर कार्यरत है। वही गाँव के प्रेम शुक्ल अपने भतीजे प्रशांत शुक्ल के साथ महाराष्ट्र में प्रापर्टी डीलर व राजनीति में नाम कमा रहे है। गाँव के युवा सुप्रीमकोर्ट में अधिवक्ता से लेकर शिक्षा, पुलिस व रेलवे सहित हर क्षेत्र में अपनी मेहनत का परचम फहरा चुके है।

क्या कहते हैं ग्रामीण------
1- गांव को खुले में शौच मुक्त करने के लिए प्रसाधन का निर्माण कराया जाना अत्यंत आवश्यक है। शासन द्वारा प्रसाधन का निर्माण कराने के लिए चलाई जा रही योजनाओं का अधिक से अधिक उपयोग कर प्रसाधन निर्माण कराया जाए।
                 ----  विमलेश शुक्ल (ग्रामीण)

2- गांव का मुख्य व्यवसाय कृषि व सब्जी उत्पादन है। जिसे देखते हुए गांव में शासन द्वारा एक सब्जी मंडी की स्थापना किया जाना अत्यंत आवश्यक है।
                           ---- अमित शुक्ल - (युवा)

3- साढ़े तीन हजार से अधिक आबादी वाले गांव में जल निकासी की समुचित व्यवस्था होनी चाहिए। जिससे  बारिश में जलभराव की समस्या न होने से संक्रमण से बचा जा सके।                 
                             ----- महंथ पाण्डेय (ग्रामीण)

4- गांव में सार्वजनिक कार्यक्रम के लिए बारात घर का होना अत्यंत आवश्यक है। क्षेत्रीय जनप्रतिनिधि से अपेक्षा है की गांव में बारात घर की स्थापना होनी चाहिए।
                       ---- जयप्रकाश यादव (पूर्व प्रधान)

5- गांव में स्वच्छ पेयजल उपलब्ध कराने के उद्देश्य स्थापित पानी की टंकी की सप्लाई ग्रामीणों के घरों तक करा कर, उन्हें स्वच्छ व शुद्ध पेयजल उपलब्ध  कराया जाए। जिससे ग्रामीणों में किसी प्रकार के संक्रमण की  संभावना न रहे।
                     --- परशुराम दूबे - (ग्रामीण)।

6- पूर्व सांसद डॉक्टर संजय सिंह के समय से ही गांव में प्रस्तावित मिनी स्टेडियम पर वर्षों से हो रही राजनीति बंद होनी चाहिए। प्रस्तावित मिनी स्टेडियम के निर्माण का कार्य शीघ्र प्रारंभ कराया जाए। जिससे क्षेत्रीय युवाओं को खेलकूद के साथ स्वास्थ्य लाभ भी प्राप्त हो सके।
               --- देवता प्रसाद शुक्ल-(ग्रामीण) ।

थोड़ा है-----
-- प्राथमिक विद्यालय -1,
-- जूनियर हाईस्कूल-1,
-- पंचायत भवन-1,
-- राजकीय नलकूप (इंडोडच)-1,
-- राजकीय होम्योपैथिक चिकित्सालय -1,
-- बालिका महाविद्यालय -1,
--  पानी की टंकी -1 ।

जंग-ए-आजादी हो या देश सेवा हर क्षेत्र में पाया मुकाम

मोतिगरपुर । स्थानीय विकासखंड की करीब 2500 से अधिक आबादी वाली ग्राम पंचायत लामा बनकठा धमरुआ राजपरिवार के राजपुरोहित श्री चन्द्रभूषण दत्त पाण्डेय की छत्रछाया में पली-बढ़ी। राजपरिवार के दुलारे बाबू कामेश्वर सिंह आजादी की लड़ाई में अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ जमकर लड़े थे। देश आजाद होने के बाद स्वतंत्रता संग्राम में शामिल पढ़े-लिखे युवाओं को लेकर आयोजित पीपीएस परीक्षा के माध्यम से प्रशासनिक सेवा में वर्ष 1948 में चयनित हुए। वर्ष 1973 में आईएएस संवर्ग में प्रोन्नति के बाद पुलिस अधीक्षक के पद से 1980 में सेवानिवृत्त हुए। सेवानिवृत्त के बाद स्वतंत्रता संग्राम सेनानी कल्याण परिषद का निदेशक/सचिव भी सुशोभित किया। इनके बड़े पुत्र विनय सिंह सेना में मेजर जनरल व रॉ में संयुक्त सचिव की जिम्मेदारी निभाई। पौत्र अक्षय सिंह व उनकी पत्नी अमन सिंह ने भी देश सेवा का ही क्षेत्र चुना। पारिवारिक जिम्मेदारियों के चलते अमन सिंह ने कैप्टन के पद से स्वैच्छिक सेवानिवृत्त ले लिया। गाँव के ही हौसिला प्रसाद मिश्र साहित्य के क्षेत्र में कई पुस्तकें लिखी है। सुरेश चंद्र मिश्र हिंदी प्रवक्ता के रूप में हाथरस में तैनात है। गाँव के ही पूर्णेन्दु सिंह व उनकी पत्नी शुभ्रा सिंह पुलिस क्षेत्राधिकारी के रूप में इलाहाबाद में अपनी सेवाएं दे रहे है। दर्जनों की संख्या में गाँव युवा शिक्षा, राजस्व, निजी क्षेत्रों में काम करते हुए गाँव का नाम रोशन कर रहे है। जिले के शासन की दमनकारी नीतियों, छात्र हितों, किसानों और पीड़ितों की समस्याओं को लेकर आये दिन सड़क पर संघर्ष करने वाले अभिषेक सिंह "राणा" खुद इस गाँव की बड़ी पहचान है।

क्या कहते हैं ग्रामीण------

गाँव के अंदर अधिकांश संपर्क मार्ग जर्जर है। नहर के किनारे का गाँव होने के कारण जलभराव की समस्या बनी रहती है। प्राथमिक विद्यालय लामा बनकठा का निर्माण अत्यंत आवश्यक है। शासन से इस सभी कार्यों के लिए अतरिक्त धन के लिए प्रयासरत है।
                      ----- हौसिला यादव - (ग्राम प्रधान)

1- दियरा उपकेन्द्र के मोतिगरपुर फीडर से आनेवाली विद्युत आपूर्ति आये दिन जर्जर तारों व खराब उपकरणों के चलते बाधित रहती है। आपूर्ति को सुचारू रूप से चलाने के लिए तारों व उपकरणों को बदला जाना आवश्यक है।
                 ---- घनश्याम मिश्र (ग्रामीण)

2- शारदा सहायक खंड-16 नहर से गाँव के अंदर जाने वाला संपर्क मार्ग वर्षों से आधा-अधूरा है। शीघ्र ही उसका निर्माण कराया जाना अत्यंत आवश्यक है ।
                           ---- जितेंद्र यादव (ग्रामीण)

3- गाँव के किसानों का सिंचाई का एकमात्र साधन नहर है। शारदा सहायक नहर से निकली बेसना और पारसपट्टी माइनर की सफाई सिर्फ कागजों में होती है। दोनों माइनरों की सफाई करनी आवश्यक है, जिससे सभी किसानों के खेतों की सिंचाई हो सके।          
                             ----- सलारू (ग्रामीण)

4- वर्ष 1973 में स्थापित जनता क्लब द्वारा प्रतिवर्ष मकर संक्रांति पर राज्य स्तरीय वॉलीबॉल प्रतियोगिता के बावजूद आजतक गाँव में खेल के मैदान का अभाव है। खेल मैदान बनना आवश्यक है।
                       ---- अशोक सिंह  (ग्रामीण)

5- गांव में स्वच्छ पेयजल उपलब्ध कराने के उद्देश्य स्थापित पानी की टंकी की सप्लाई ग्रामीणों के घरों तक करा कर, उन्हें स्वच्छ व शुद्ध पेयजल उपलब्ध  कराया जाए। जिससे ग्रामीणों में किसी प्रकार के संक्रमण की संभावना न रहे।
                 - हौसिला प्रसाद मिश्र (आयुर्वेदाचार्य/साहित्यकार)।

6- 13 वर्षों से न्यायालय में लंबित मामले के चलते प्राथमिक विद्यालय लामा बनकठा के बच्चे खुले आसमान में पढ़ने को मजबूर हैं। विद्यालय का निर्माण शीघ्र कराया जाय।
               --- आञ्जनेय शर्मा (ग्रामीण) ।

थोड़ा है-----
-- प्राथमिक विद्यालय -1,
--- प्रबंधकीय विद्यालय- 1,
--- पंचायत भवन-1,
-- उप डाकघर -1 ।

थोड़े की जरूरत है----
--- जूनियर हाईस्कूल,
--- एएनएम सेंटर,
--- विद्युत आपूर्ति में सुधार,
--- आगनबाडी भवन,
--- सब्जी मंडी की स्थापना,
--- स्वच्छ पेयजल के लिए पानी की टंकी।
--- जल निकासी के लिए नालियों का निर्माण,
--- खेलकूद का मैदान,
--- हाईस्कूल का निर्माण,
--- प्रसाधन का निर्माण ।

गांव की प्रमुख हस्तियां-----
--- स्व. बाबू कामेश्वर सिंह - स्वतंत्रता संग्राम सेनानी/ सेवानिवृत्त पुलिस अधीक्षक,
--- विनय कुमार सिंह - सेवानिवृत्त मेजर जनरल/ संयुक्त सचिव रॉ,
--- अक्षय सिंह - सेना मेडल प्राप्त कर्नल, कपूरथला,
--- अमन सिंह - स्वैच्छिक सेवानिवृत्त महिला कैप्टन,
--- पूर्णेन्दु सिंह - क्षेत्राधिकारी, पुलिस सेवा, इलाहाबाद,
--- शुभ्रा सिंह - क्षेत्राधिकारी, पुलिस सेवा, इलाहाबाद,
--- सुरेश चंद्र मिश्र - हिंदी प्रवक्ता, हाथरस,
--- हंसराज मिश्र - ए.ई. पीडब्लूडी, इलाहाबाद,
--- मंडन मिश्र - प्राइवेट कंपनी में एरिया मैनेजर,
--- इंदुलेखा सिंह - सेवानिवृत्त प्रभारी सीडीपीओ,
--- बीएन राय - सेवानिवृत्त आपूर्ति निरीक्षक,
--- आद्या शंकर राय, पारसनाथ राय व राम सहाय - सेवानिवृत्त शिक्षक ।