Tuesday, 24 October 2017
Monday, 23 October 2017
Wednesday, 11 October 2017
Saturday, 7 October 2017
बड़ी रियासतों में शुमार रही दियरा
मोतिगरपुर। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार प्रभु श्रीराम धोपाप धाम में स्नान कर रावण हत्या के पाप से मुक्त होने के बाद आदिगंगा गोमती के जिस स्थान पर दीपदान किया था, कालांतर में वही स्थान दीपनगर (आज का दियरा) के नाम से जाना गया। दियरा राजपरिवार ने शरण में आये हुए की रक्षा करने के राजधर्म का पालन करने के कारण स्वतंत्रता संग्राम के दौरान अंग्रेज अधिकारियों की रक्षा कर राष्ट्रद्रोह का भी दंश झेला है। जिले की प्राचीनतम चिकित्सालय का भवन आज भी विद्यमान है। वही क्षेत्र की सबसे प्राचीन बाजार आज भी प्रत्येक सोमवार और शुक्रवार को आज भी लगती है। यहाँ की भगवान श्रीकृष्ण की बरही व गंगा दशहरा का स्नान आज भी लोगों की आस्था पर भारी पड़ता है। शिक्षा के क्षेत्र में राजभवन के प्रवेश द्वार में संचालित रानी महेंद्र कुमारी सरदार बल्लभ भाई इंटरमीडिएट कालेज जिले में अपनी अलग ही पहचान रखता है। जहाँ कला, विज्ञान और व्यावसायिक शिक्षा के साथ-2 एनसीसी का प्रशिक्षण भी दिया जाता है।
दियरा निवासी स्वतंत्रता संग्राम सेनानी स्व. जगदीश शुक्ल ने आजाद हिंद फौज के सिपाही के रूप में गाँव का मान बढ़ाया। राम नारायण शुक्ल (जिला न्यायाधीश, म.प्र.), डॉ. रमाशंकर बरनवाल (सीएमओ), व डॉ. हरिदत्त शुक्ल सुलतानपुर जिले के ख्याति प्राप्त चिकित्सक रह चुके है। वही हैदराबाद में दयाशंकर तिवारी दवा व्यवसाय में अपनी अलग पहचान बना चुके है। गांव की कई अन्य मेधा प्रदेश व प्रदेश के बाहर प्रशासनिक सेवाओं में कार्य करते हुए क्षेत्र का मान बढ़ा रहे है।
ग्रामीणों ने कहा---
बाजार में सप्ताह के सोमवार और शुक्रवार को लगने वाली बाजार से छात्र/छात्राओं के साथ ही राहगीरों को घंटों जाम से जूझना पड़ता है। समस्या दूर होनी चाहिए।
भगवान प्रसाद (व्यवसायी)
बाजार अतिक्रमण मुक्त हो। जल निकासी के लिए बने नाले व नालियों की मरम्मत और निर्माण कराया जाय, जिससे जल भराव न हो।
महेंद्र प्रताप सिंह "हरी"(व्यवसायी)
प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र व आवासीय भवन जर्जर हो चुके है। उनकी मरम्मत होने के साथ ही एक स्थायी चिकित्सक की नियुक्ति होनी चाहिए। जो चौबीस घंटे सेवा दे सके।
शिव मोहन शुक्ल "महोबा" (शिक्षक)
सबसे पुरानी बाजार होने व स्वच्छता कार्यक्रम के तहत बाजार में प्रसाधन का निर्माण आवश्यक है।
संजय तिवारी (ग्रामीण)
थोड़ा है-----
-- प्राथमिक विद्यालय -3,
-- जूनियर हाईस्कूल-1,
-- कन्या जूनियर हाईस्कूल-1,
-- इंटरमीडिएट कालेज-1,
-- संस्कृत विद्यालय-1,
-- प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र-1,
-- पशु चिकित्सालय-1,
-- आंगनबाड़ी-3,
-- ग्रामीण बैंक-1
-- बाँध मंडी ।
थोड़े की जरूरत है----
--- राष्ट्रीयकृत बैंक की स्थापना,
--- विद्युत आपूर्ति में सुधार,
--- महाविद्यालय की स्थापना,
--- बाँध मंडी में की मरम्मत,
--- स्वच्छ पेयजल के लिए पानी की टंकी।
Friday, 6 October 2017
Sunday, 7 May 2017
पूर्वांचल का ऐतिहासिक पाण्डेयबाबा धाम बना लोगों की आस्था और श्रद्धा का केंद्र
● भूपेश पांडेय
मोतिगरपुर। जिला मुख्यालय से करीब 32 किमी दूर स्थित पांडेय बाबा ब्रह्मधाम सैकडों साल से लोगों की आस्था और श्रद्धा का केंद्र बना हुआ है। यहाँ प्रतिवर्ष क्वार महीने में विजयादशमी को श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ती है।
किंवदंती के मुताविक करीब 350 वर्ष से पूर्व बढ़ौनाडीह नामक स्थान पर धरमंगल पांडेय का जन्म ब्राह्मण परिवार में हुआ। पांच वर्ष की अल्पायु में ही माता-पिता की मृत्यु हो जाने के बाद से ही बालक धरमंगल का मन तप में लग गया। वे घनघोर जंगल में गर्मी के मौसम में पंचाग्नि, ठंड में जल एंव बरसात में खुले आसमान के नीचे तपस्या करते थे। उम्र के साथ ही उनकी कीर्ति भी चारों तरफ बढ़ने लगी। तपोबल से ही उनके वस्त्र आसमान में सूखते थे। संयोग से तत्कालीन स्थानीय राजघराने का राजकुमार शिकार करते हुए उसी जंगल मे आ गया और देर शाम तक शिकार न मिलने पर अगले दिन आने की नीयत से गोमती नदी के दूसरे किनारे पर स्थित सराय (वर्तमान में मीठापुर-चौपरिया) नामक स्थान पर रुक गया। अगले दिन पुनः शिकार की तलाश में आपके आश्रम के नजदीक पहुँच गया। वही पास में ही एक गरीब परिवार की नवयुवती ईंधन के लिए उपले एकत्र कर रही थी। राजकुमार प्रेम आसक्त हो उससे दुराचार का प्रयास करने लगा। नवयुवती की चीख सुनकर ब्राह्मण देव आये और राजकुमार को बहुत फटकारा। राजकुमार उस समय तो क्षमा मांगकर सराय वापस चला गया, लेकिन बदले की भावना से ब्राह्मण को मारने के लिए सराय के लोगों को षडयंत्र के तहत भेजा। लेकिन ब्राह्मण के तेज को देखकर सारे लोग वापस लौट आये। अंत में सबने मिलकर रग्घू नामक जल्लाद को ब्राह्मण का सिर काटने के लिए भेजा और कहा, कि ऐसा न करने पर राजद्रोह के आरोप में उसके पूरे परिवार को मार दिया जायेगा। जल्लाद रग्घू भी ब्राह्मण का तेज देख उन्हें मारने का साहस नहीं कर सका। तीन दिन बाद वो ब्राह्मण के पैरों पर गिर पड़ा और सारी बातें बताकर अपने परिवार की रक्षा की भीख मांगने लगा।
ब्राह्मण देव ने कहा इसमें तुम्हारा कोई दोष नहीं है, तुम तो राजधर्म का पालन कर रहे हो, लेकिन इस षडयंत्र में शामिल राजकुमार व सराय के लोगों का सर्वनाश अवश्य होगा। तुम अपने धर्म का पालन करो। इसके बाद जल्लाद ने उनकी हत्या कर दी। बाद में राजपरिवार व सराय के लोगों का धीरे-2 पतन होता गया। मृत्यु बाद ब्रह्म के रूप में ब्राह्मण देव का आतंक क्षेत्र में फैल गया। वे लोगों से स्वप्न के माध्यम से अपने लिए स्थान मांगने लगे। सभी क्षेत्रवासियों ने ब्राह्मणों द्वारा नवरात्रि में नौ-दिनों तक शांति पाठ कर क्वार माह की विजयादशमी को ब्राह्मण देव को उनके ही आश्रम के एक देव-वृक्ष (पीपल) में स्थापित कर दिया। तब से लेकर आज तक प्रतिवर्ष विजयादशमी को तीन दिवसीय मेले का आयोजन होता आ रहा है।
◆ मान्यता है कि सावन माह के सोमवार या शुक्रवार को ब्राह्मण देव के दर्शन-पूजन करने से पशुओं की गंभीर बीमारियों से रक्षा होती है। पशुओं की रक्षा के लिए लोग पशुओं की संख्या के बराबर कौड़ी व माला-फूल चढ़ाते है। धान की नई फसल चढ़ाने से कभी धन-धान्य की कमी नहीं होती है।
◆ कई बड़ी हस्तियां झुका चुकी है सिर...
पूर्वांचल के ऐतिहासिक पाण्डेयबाबा मेले में जहाँ कई प्रदेश के लोग बाबा के दर्शन करने आते है । वही कई राजनैतिक व सामाजिक हस्तियां भी बाबा के धाम में मत्था टेक चुकी है। इनमें पूर्व मुख्यमंत्री पं. श्रीपति मिश्र, कल्याण सिंह, मुलायम सिंह यादव, पूर्व विधानसभा अध्यक्ष पं. केसरी नाथ त्रिपाठी, पूर्व केंद्रीय मंत्री बाबू केदारनाथ सिंह, पूर्व केंद्रीय मंत्री व राज्यसभा सांसद डॉ. संजय सिंह, उत्तर प्रदेश के पूर्व काबीना मंत्री पं. जय नारायण तिवारी, बाबू। विनोद सिंह, पूर्व राज्यमंत्री ओम प्रकाश सिंह, राम रतन यादव व विश्वनाथ दास शास्त्री, वरुण गांधी, शैलेन्द्र प्रताप सिंह, देवेंद्र पांडेय, सूर्यभान सिंह सहित दर्जनों हस्तियां बाबा का आशीर्वाद प्राप्त की है।
Saturday, 28 January 2017
"हो तंदुरुस्त हर माँ और बच्चा, हर घर का हो सपना सच्चा"
मोतिगरपुर। "सभी धर्मों में सेवा धर्म सर्वोपरि है। सेवा-भाव से मनुष्य का अभिमान समाप्त हो जाता है, फिर वह किसी को कष्ट में नहीं देख सकता है" उक्त बातें जिले प्रसिद्ध सर्जन डॉ. ए. के. सिंह ने क्षेत्र के राम बरन महाविद्यालय विभारपुर के एन. एस.एस. शिविर को संबोधित करते हुए कही।
शनिवार को महाविद्यालय के एन.एस.एस. शिविर में बतौर मुख्य अतिथि पहुँचे डॉ. ए. के. सिंह का महाविद्यालय परिवार व शिविरार्थियों ने भव्य स्वागत किया। ध्वजारोहण व माँ सरस्वती के चित्र पर दीप प्रज्ज्वलन के बाद "हो तंदुरुस्त हर माँ और बच्चा, हर घर का हो सपना सच्चा" विषयक गोष्ठी को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि," स्वस्थ्य रहने में स्वच्छता का बहुत बड़ा योगदान होता है। महिलाओं को विशेषकर गर्भधारण के समय से ही संतुलित भोजन करना चाहिए। प्रोटीन के लिए दूध, गाढ़ी दाल और अंकुरित अनाज का भरपूर प्रयोग करने के साथ ही समय-समय पर नियमित जांच कराते रहना चाहिये। शिशुओं का नियमित निःशुल्क टीकाकरण अवश्य करायें।" कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे जिला बंदोबस्त अधिकारी शीतलेन्द्र सिंह ने कहा कि," नियत अच्छी होने पर नियति भी साथ देती है। शिक्षा को समाज के निचले स्तर तक पहुँचाना चाहिए।" कार्यक्रम का संचालन प्राचार्य अजय कुमार त्रिपाठी ने किया। इस मौके पर डॉ. सिंह द्वारा भारोत्तोलन में महाविद्यालय का नाम प्रदेश में रोशन करने वाली छात्रा शिवानी सिंह और विश्वविद्यालय में नृत्य कला में श्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाली सुप्रिया सिंह को प्रशस्ति-पत्र देकर सम्मानित भी किया गया। महाविद्यालय परिवार ने चिकित्सा क्षेत्र में अप्रतिम योगदान के लिए उन्हें स्मृति चिन्ह भेंट किया। कार्यक्रम में संजय सिंह, डॉ. सिंधुलता त्रिपाठी, अमर प्रताप सिंह आदि उपस्थित रहे।