Sunday, 7 May 2017

पूर्वांचल का ऐतिहासिक पाण्डेयबाबा धाम बना लोगों की आस्था और श्रद्धा का केंद्र

● भूपेश पांडेय
  मोतिगरपुर। जिला मुख्यालय से करीब 32 किमी दूर स्थित पांडेय बाबा ब्रह्मधाम सैकडों साल से लोगों की आस्था और श्रद्धा का केंद्र बना हुआ है। यहाँ प्रतिवर्ष क्वार महीने में विजयादशमी को श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ती है।
    किंवदंती के मुताविक करीब 350 वर्ष से पूर्व बढ़ौनाडीह नामक स्थान पर धरमंगल पांडेय का जन्म ब्राह्मण परिवार में हुआ। पांच वर्ष की अल्पायु में ही माता-पिता की मृत्यु हो जाने के बाद से ही बालक धरमंगल का मन तप में लग गया। वे घनघोर जंगल में गर्मी के मौसम में पंचाग्नि, ठंड में जल एंव बरसात में खुले आसमान के नीचे तपस्या करते थे। उम्र के साथ ही उनकी कीर्ति भी चारों तरफ बढ़ने लगी। तपोबल से ही उनके वस्त्र आसमान में सूखते थे। संयोग से तत्कालीन स्थानीय राजघराने का राजकुमार शिकार करते हुए उसी जंगल मे आ गया और देर शाम तक शिकार न मिलने पर अगले दिन आने की नीयत से गोमती नदी के  दूसरे किनारे पर स्थित सराय (वर्तमान में मीठापुर-चौपरिया) नामक स्थान पर रुक गया। अगले दिन पुनः शिकार की तलाश में आपके आश्रम के नजदीक पहुँच गया। वही पास में ही एक गरीब परिवार की नवयुवती ईंधन के लिए उपले एकत्र कर रही थी। राजकुमार प्रेम आसक्त हो उससे दुराचार का प्रयास करने लगा। नवयुवती  की चीख सुनकर ब्राह्मण देव आये और राजकुमार को बहुत फटकारा। राजकुमार उस समय तो क्षमा मांगकर सराय वापस चला गया, लेकिन बदले की भावना से ब्राह्मण को मारने के लिए सराय के लोगों को षडयंत्र के तहत भेजा। लेकिन ब्राह्मण के तेज को देखकर सारे लोग वापस लौट आये। अंत में सबने मिलकर रग्घू नामक जल्लाद को ब्राह्मण का सिर काटने के लिए भेजा और कहा, कि ऐसा न करने पर राजद्रोह के आरोप में उसके पूरे परिवार को मार दिया जायेगा। जल्लाद रग्घू भी ब्राह्मण का तेज देख उन्हें मारने का साहस नहीं कर सका। तीन दिन बाद वो ब्राह्मण के पैरों पर गिर पड़ा और सारी बातें बताकर अपने परिवार की रक्षा की भीख मांगने लगा।
ब्राह्मण देव ने कहा इसमें तुम्हारा कोई दोष नहीं है, तुम तो राजधर्म का पालन कर रहे हो, लेकिन इस षडयंत्र में शामिल राजकुमार व सराय के लोगों का सर्वनाश अवश्य होगा। तुम अपने धर्म का पालन करो। इसके बाद जल्लाद ने उनकी हत्या कर दी। बाद में राजपरिवार व सराय के लोगों का धीरे-2 पतन होता गया। मृत्यु बाद ब्रह्म के रूप में ब्राह्मण देव का आतंक क्षेत्र में फैल गया। वे लोगों से स्वप्न के माध्यम से अपने लिए स्थान मांगने लगे। सभी क्षेत्रवासियों ने ब्राह्मणों द्वारा नवरात्रि में नौ-दिनों तक शांति पाठ कर क्वार माह की विजयादशमी को ब्राह्मण देव को उनके ही आश्रम के एक देव-वृक्ष (पीपल) में स्थापित कर दिया। तब से लेकर आज तक प्रतिवर्ष विजयादशमी को तीन दिवसीय मेले का आयोजन होता आ रहा है।

◆ मान्यता है कि सावन माह के सोमवार या शुक्रवार को ब्राह्मण देव के दर्शन-पूजन करने से पशुओं की गंभीर बीमारियों से रक्षा होती है। पशुओं की रक्षा के लिए लोग पशुओं की संख्या के बराबर कौड़ी व माला-फूल चढ़ाते है। धान की नई फसल चढ़ाने से कभी धन-धान्य की कमी नहीं होती है।

◆ कई बड़ी हस्तियां झुका चुकी है सिर...
पूर्वांचल के ऐतिहासिक पाण्डेयबाबा मेले में जहाँ कई प्रदेश के लोग बाबा के दर्शन करने आते है । वही कई राजनैतिक व सामाजिक हस्तियां भी बाबा के धाम में मत्था टेक चुकी है। इनमें पूर्व मुख्यमंत्री पं. श्रीपति मिश्र, कल्याण सिंह, मुलायम सिंह यादव, पूर्व विधानसभा अध्यक्ष पं. केसरी नाथ त्रिपाठी, पूर्व केंद्रीय मंत्री बाबू केदारनाथ सिंह, पूर्व केंद्रीय मंत्री व राज्यसभा सांसद डॉ. संजय सिंह, उत्तर प्रदेश के पूर्व काबीना मंत्री पं. जय नारायण तिवारी, बाबू। विनोद सिंह, पूर्व राज्यमंत्री ओम प्रकाश सिंह, राम रतन यादव व विश्वनाथ दास शास्त्री, वरुण गांधी, शैलेन्द्र प्रताप सिंह,  देवेंद्र पांडेय, सूर्यभान सिंह सहित दर्जनों हस्तियां बाबा का आशीर्वाद प्राप्त की है।

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